इंटरनेट ने पूरी दुनिया में काम करने के तरीके को बदल दिया है। हालाँकि इंटरनेट ने डिजिटल धोखाधड़ी से पैसा बनाने वालो के नए तरीकों के लिए रास्ता भी बनाया है। आइये जानते हैं की डिजिटल धोखाधड़ी क्या है और इस से कैसे बचा जा सकता है। इस ब्लॉग को जायदा से जायदा लोगो तक शेयर कीजिये ताकि जयादा से जायदा लोग इस से अवगत हों।
डिजिटल, इंटरनेट या ऑनलाइन धोखाधड़ी तब होती है जब हैकर्स और धोखेबाज इंटरनेट का उपयोग करके किसी से पैसा या कोई गुप्त जानकारी धोखे से प्राप्त कर ले।
समय समय पर सरकार या कोई विशेष संश्थान लोगो को ऑनलाइन धोखाधड़ी से अवगत करा तो रहे हैं लेकिन साथ हीं इंटरनेट धोखाधड़ी साल-दर-साल बढ़ रही है। जब कोविड महामारी ने दस्तक दी और लोग वर्क फ्रॉम होम , ऑनलाइन काम करने लगे, तो डिजिटल धोखाधड़ी के मामले भी और सामने आने लगे।
फ़िशिंग एक प्रकार का ऑनलाइन फ्रॉड है जहां अपराधी व्यक्तियों को धोखाधड़ी वाले ईमेल, टेक्स्ट मैसेज या फोन कॉल भेजते हैं, आमतौर पर एक विश्वसनीय ब्रांड होने का नाटक करते हैं, ताकि उन्हें सामने वाले व्यक्ति के बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड के बारे में और पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारी धोखे से प्राप्त हो जाये । फ़िशिंग कई तरीकों से काम कर सकती है, जैसे कि लिंक वाले ईमेल या टेक्स्ट के माध्यम से या किसी विश्वसनीय ब्रांड या कंपनी की आड़ में निजी या वित्तीय जानकारी का अनुरोध करना।
IVR आधारित धोखाधड़ी आजकल बहुत तेजी से फ़ैल रही है , मोबाइल पर फ़ोन आने पर एक कंप्यूटर वॉइस (Voice ) या ह्यूमन वॉइस सुनाई देगी फिर किसी भी कारन वश कोई एक नंबर को इनपुट या बटन प्रेस करने का प्रस्ताव आएगा, और फिर इसी का फयदा उठाकर हैकर सामने वाले से कोई गोपनीय जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
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